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कविता

बच्चे

स्नेहमयी चौधरी


बच्चे नहीं जानते अपने-पराए
उनके लिए दादा दादा हैं, दादी दादी
उनसे क्या द्वेष रखना !


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हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ